प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार (16 फरवरी) को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी को तीस से अधिक योजनाओं की सौगात देने के लिए पहुंचे। अपने छह घंटे से अधिक समय तक के प्रवास पर सुबह 10.25 बजे लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बाबतपुर पहुंचे तो एप्रन पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने उनका स्वागत किया।
जंगमबाड़ी मठ में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि काशी का जनप्रतिनिध हूं और काशाी की धरती पर संतों का आशीर्वाद का सौभाग्य मिला। पीएम मोदी ने कहा कि संस्कृति और संस्कृत की संगम स्थली में आप सभी के बीच आना, मेरा लिए बहुत बड़ा सौभाग्य है। बाबा विश्वनाथ के सानिध्य में, मां गंगा के आंचल में, संत वाणी का साक्षी बनने का अवसर बार-बार नहीं मिलता। आपका स्वागत करता हूं।
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| PM Modi said- need to get society out of hatred, protest and disorder |
संस्कृत और संस्कति के संगम स्थली में आना सौभाग्य है। बाबा विश्वनाथ गंगा के आंचल में संतवाणी का मौका हमेशा नहीं आता। पत्र मिला था और पत्र में राष्ट्र की चिंता थी। युवा भारत के लिए पुरातन भारत के गौारवगान का मौका था। संतों के ज्ञान सत्संग का मौका मिले छोडना नहीं चाहिए। पूरे देश के लोग कोने-कोने से यहां आए। कर्नाटक महाराष्ट्र से हैं और भोले की नगरी का प्रतिनिधितव है। आपका स्वागत है। तुलसी दास ने कहा है- संत समागम हरि कथा तुलसी दुर्लभ दोऊ। ऐसे में वीर शैव की संत परंपरा के शताब्दी वर्ष का आयोजन सुखद है।
पीएम मोदी ने कहा कि वीरशैव परंपरा वो है, जिसमें वीर शब्द को आध्यात्म से परिभाषित किया गया है। जो विरोध की भावना से ऊपर उठ गया है वही वीरशैव है। यही कारण है कि समाज को बैर, विरोध और विकारों से बाहर निकालने के लिए वीरशैव परंपरा का सदैव आग्रह रहा है






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